Hera Pheree फिल्म के मुख्य कलाकारों में अक्षय कुमार (राजू), सुनील शेट्टी (श्याम) और परेश रावल (बाबूराव गनपत राव आप्टे) ने अपने-अपने किरदारों में अद्भुत कॉमिक टाइमिंग का प्रदर्शन किया है। फिल्म का हर दृश्य दर्शकों के लिए हंसी का एक अलग ही स्रोत बन जाता है। इसमें कॉमेडी का बेहतरीन मिश्रण और सटीक संवादों की अदायगी इसे खास बनाती है।
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Hera Pheree तीन मुख्य पात्रों के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपनी ज़िन्दगी को बेहतर बनाने के लिए हर संभव कोशिश करते हैं लेकिन लगातार मुसीबत में फंस जाते हैं। ये तीनों लोग एक आर्थिक संकट से गुजर रहे होते हैं, और किस्मत उन्हें एक अप्रत्याशित घटना से जोड़ देती है, जिससे हेरा फेरी का सफर शुरू होता है।
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1. बाबूराव गनपत राव आप्टे (परेश रावल):
बाबूराव एक बूढ़ा और भुलक्कड़ इंसान है, जो मुंबई में एक पुराना किराए पर देने वाला मकान मालिक है। बाबूराव अपने जीवन में संघर्ष कर रहा है, और उसे शराब पीने का भी शौक है। वह किराएदारों से परेशान है क्योंकि वे उसे किराया नहीं देते। बाबूराव के भोलेपन और उसकी बातों में छिपी मासूमियत ने उनके किरदार को लोगों के दिलों में हमेशा के लिए बसा दिया है।
2. श्याम (सुनील शेट्टी):
श्याम एक बेरोजगार युवक है, जिसने अपने पिता के निधन के बाद बैंक में नौकरी पाने की कोशिश की, लेकिन वह असफल रहा। उसे आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है और नौकरी की तलाश में संघर्ष कर रहा है। श्याम एक गंभीर लेकिन स्वाभाविक रूप से ईमानदार व्यक्ति है, जो बुरे हालात में भी सही रास्ता अपनाना चाहता है।
3. राजू (अक्षय कुमार):
राजू एक बेरोजगार और कर्ज में डूबा हुआ इंसान है, जो अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए शॉर्टकट की तलाश में रहता है। राजू की जिंदगी में पैसे की बहुत कमी है, और वह बाबूराव के घर में किराए पर रहता है। वह चालाक और अवसरवादी है, और अपने फायदे के लिए लोगों को भ्रमित करने में माहिर है।
कहानी की शुरुआत:
श्याम अपनी नौकरी की तलाश में बाबूराव के घर किराए पर रहने आता है, जहाँ पहले से ही राजू रह रहा होता है। दोनों के बीच पहले दिन से ही तनाव और झगड़े होते हैं, क्योंकि दोनों के बीच संवादहीनता होती है। लेकिन जल्द ही वे समझते हैं कि एक-दूसरे की मदद से वे अपने आर्थिक संकटों को हल कर सकते हैं।
एक दिन, बाबूराव के फोन पर एक गलती से कॉल आती है, जो पूरी कहानी को एक नए मोड़ पर ले जाती है। यह कॉल एक अमीर बिजनेसमैन से फिरौती मांगने वाले किडनैपर का होता है। किडनैपर ने गलत नंबर डायल किया होता है और वह सोचता है कि उसने बिजनेसमैन के परिवार से बात की है। राजू को यह समझ में आता है कि यह उनके लिए पैसा कमाने का एक शानदार मौका हो सकता है। वह श्याम और बाबूराव को इस योजना में शामिल करता है, और तीनों फिरौती का पैसा पाने के लिए एक मास्टरप्लान बनाते हैं।
अराजकता और हेरा फेरी:
तीनों का प्लान बेहद हास्यास्पद और गलतफहमी भरी घटनाओं की एक कड़ी को जन्म देता है। कई बार वे खुद ही मुसीबत में फंस जाते हैं और उन्हें समझ में नहीं आता कि वे इसे कैसे सुलझाएँ। फिल्म में हास्य की प्रधानता तब होती है जब हर व्यक्ति एक अलग तरीके से स्थिति को हल करने की कोशिश करता है, और इससे हर बार और ज्यादा समस्याएँ खड़ी हो जाती हैं।
बाबूराव की भोली-भाली हरकतें और राजू का चालाकपन पूरे प्लॉट को दिलचस्प बनाते हैं। किडनैपरों, पुलिस, और उन तीनों के बीच होने वाली हेरा फेरी हर बार दर्शकों को जोर-जोर से हंसने पर मजबूर कर देती है।
क्लाइमेक्स और अंत:
Hera Pheree फिल्म के अंत में, कई गलतफहमियों और मजेदार घटनाओं के बाद, तीनों को फिरौती की रकम मिल जाती है, लेकिन उनके जीवन में अराजकता बनी रहती है। हालांकि, अंत में सब कुछ ठीक हो जाता है और तीनों अपनी पुरानी जिन्दगी में लौट जाते हैं, लेकिन इसके बावजूद बाबूराव का मासूमियत भरा व्यक्तित्व और राजू का शॉर्टकट लेने का रवैया बरकरार रहता है।
फिल्म की खास बातें:
- कॉमेडी का जबरदस्त मिश्रण: Hera Pheree फिल्म की सबसे बड़ी खासियत इसकी हास्य की सटीकता है। संवाद लेखन और डायलॉग डिलीवरी इतनी प्रभावी है कि हर एक सीन हंसी से भरा होता है। बाबूराव की भोली-भाली बातें, राजू का चालाक व्यवहार और श्याम की सादगी, इन तीनों के बीच का तालमेल शानदार तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
- संवाद: “उठा ले रे देवा,” और “देने का नहीं” जैसे संवाद आज भी लोगों के बीच मशहूर हैं। बाबूराव के किरदार द्वारा बोले गए संवादों ने Hera Pheree फिल्म को अविस्मरणीय बना दिया है।
- किरदार:
परेश रावल का बाबूराव का किरदार भारतीय सिनेमा के सबसे प्रसिद्ध और मजेदार पात्रों में से एक है। उनकी कॉमिक टाइमिंग और भावनाओं का प्रदर्शन उन्हें फिल्म का सबसे मुख्य आकर्षण बनाता है। अक्षय कुमार और सुनील शेट्टी की भी कॉमिक टाइमिंग बेहद प्रभावशाली है। - निर्देशन: प्रियदर्शन का निर्देशन अद्भुत है। उन्होंने इस फिल्म में कॉमेडी का बेहतरीन निर्देशन किया है, जिसमें हर छोटे-छोटे पहलू पर ध्यान दिया गया है, ताकि Hera Pheree फिल्म की हर स्थिति में हास्यपूर्ण तत्व उभरे।
- कहानी का सरलता से हास्य में तब्दील होना:
Hera Pheree की कहानी बहुत ही सरल है, लेकिन इसमें हास्यपूर्ण घटनाओं की श्रृंखला ने इसे खास बना दिया है। हर सीन में नए-नए ट्विस्ट और अजीबोगरीब परिस्थितियाँ दर्शकों को हंसी से भर देती हैं।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs):
1. Hera Pheree को इतनी पसंद क्यों किया गया?
Hera Pheree फिल्म की अद्भुत कॉमेडी, बेहतरीन संवाद, और किरदारों की सटीकता ने इसे सभी वर्गों के दर्शकों के बीच बहुत लोकप्रिय बना दिया। बाबूराव, राजू और श्याम के बीच के तालमेल और उनकी हास्यपूर्ण परिस्थितियों ने Hera Pheree फिल्म को एक कल्ट क्लासिक बना दिया।
2. Hera Pheree की सबसे मजेदार बात क्या है?
Hera Pheree फिल्म की सबसे मजेदार बात बाबूराव का किरदार और उसकी भोली-भाली हरकतें हैं। परेश रावल ने इस किरदार को इतनी खूबसूरती से निभाया कि आज भी यह किरदार याद किया जाता है।
3. Hera Pheree का सीक्वल है?
हां, Hera Pheree का सीक्वल 2006 में “फिर हेरा फेरी” नाम से रिलीज हुआ था। हालांकि यह फिल्म भी दर्शकों के बीच लोकप्रिय रही, लेकिन पहली फिल्म की तुलना में इसे कम पसंद किया गया।
4. क्या Hera Pheree का तीसरा भाग भी आने वाला है?
Hera Pheree 3 की चर्चा कई सालों से हो रही है, और इसके कई पोस्टर भी सामने आ चुके हैं, लेकिन फिल्म की रिलीज डेट को लेकर कोई ठोस जानकारी नहीं है।
5. Hera Pheree को निर्देशित किसने किया था?
Hera Pheree का निर्देशन प्रसिद्ध निर्देशक प्रियदर्शन ने किया था, जो अपने शानदार कॉमेडी फिल्मों के लिए जाने जाते हैं।
6. Hera Pheree की सबसे प्रसिद्ध लाइन कौन सी है?
फिल्म की सबसे प्रसिद्ध लाइनें हैं, “उठा ले रे बाबा, मुझे नहीं, इन्हें उठा ले!” और “50 रुपये काट ओवरएक्टिंग के।”
7. क्या Hera Pheree का रीमेक भी बना है?
Hera Pheree का कोई आधिकारिक रीमेक नहीं बना है, लेकिन इसके आइकॉनिक डायलॉग्स और सीन्स को कई शो और फिल्मों में
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